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So Friends! Today’s our
INTERESTING MORAL STORY
” गुरु मंत्र “
एक मनुष्य ने सुना था कि कोई कई ऐसे गुप्त मंत्र है, जिसकी साधना कर सिद्ध कर लिया जाता है तो अगणित सिद्धयाँ मिल जाती है| उसने कई गुरुओं की खोज की कोई उसे जमा नहीं| एक जगह उसे धैर्यवान गुरु मिले उन्होंने उसे गुरु दीक्षा देने की स्वीकृति दे दी| उसे गुरु मंत्र दिया और कहा कि इसे जपते रहो समय आने पर सिद्ध होगा|श्रद्धा और विश्वास की उसके सिद्ध होने का आधार होगा, पर उनका निष्ठा पूर्वक जब करना होगा, और उसे गुप्त रखना होगा|
गुरु मंत्र की दीक्षा दे दी गई| शिष्य, गुरु जी के पास रहकर मंत्र जप करने लगा| उसे शांति मिली| एक दिन वह नदी किनारे गया तो देखा कि, कई लोग पीले वस्त्र अपने गुरु मंत्र का जोरों शोरों से उच्चारण करते जा रहे हैं|
सोचा कि उसमें गुप्त क्या था, थोड़ा आगे बढ़ा तो देखा कि नगर में जगह-जगह गुरु मंत्र लिखा देखा| एक दुकान मिली जहां गुरु मंत्र पर ढेरों किताबें थे| वह सोचने लगा कि गुरु जी ने बहका दिया| इन संदेहों के साथ गुरुजी के पास वापस पहुंचाऔर शिकायत बताई|
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उतावले शिष्य को उन्होंने तुरंत तो समझा कर शांत किया, फिर अगले दिन आने को कहा|
दूसरे दिन गया, गुरुजी ने उसे एक हीरा दिया और कहा: इसे एक सब्जी वाला, पंसारी, सुनार, महाजन और जौहरी के पास ले जाकर, मूल्य लगवाना, जो बताये उसे लिख कर हिरा वापस लाना| सबसे पहले वह सब्जी वाले के पास गया उसने हीरे को देखा और कुछ समझ ना सका लेकिन उसकी चमक बहुत पसंद आयी उसने उसका मूल्य एक पाव सब्जी का बताया|
फिर शिष्य उसे लेकर पंसारी के पास गया उसे उन्होंने तराजू में पहले तो तौला और बाट समझ उसका मूल्य एक सेट नमक का बताया| शिष्य अचंभित था| फिर वह हीरे लेकर सुनार के पास गया, सुनार ने हीरे का मूल्य सिर्फ पचास रूपये बताया| शिष्य सब कुछ लिख रहा था|
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तत्पश्चात थोडा जल ग्रहण कर, वह महाजन के पास गया, महाजन देखते ही तो समझ गए की वह बहुमूल्य रत्न हैं उन्होंने अपना दाम बोला एक हजार रूपये| शिष्य बोला ठीक हैं, लेकिन मुझे यह बेचनी नही हैं और अंत में वह जौहरी के पास पंहुचा शिष्य जौहरी की बात सुनकर बहुत ज्यादा अचंभव में था उन्होंने हीरे का मूल्य बताया दस हजार रूपये|
वापस गुरु जी के पास लौटे, शिष्य को जवाब मिला की यही तुम्हारे प्रश्न का भी उत्तर हैं| एक ही वस्तु को सब ने अपनी-अपनी बुद्धि के हिसाब से आंका| तुम्हें मंत्र साधारण लगता हैं, तुम्हे लगाता हैं इसे सब जानते हैं पर उसकी असली मूल्य जानना सभी के लिए संभव नहीं है| शिष्य को समझ आ गया, वह पूरी मनोयोग से लक्ष्य प्राप्ति में लग गया|
हमारे जीवन में भी ऐसा होता हैं कि हम अपने पास उपस्थित अनमोल वस्तु की कीमत तय नही कर पाते हैं| और अनजाने में ही उसका मूल्य बेहद कम आंकते रहते हैं| व्यक्ति अपनी अपनी बुद्धि, जानकारी और सोच के हिसाब से किसी वस्तु का बोध लगता हैं|बेसकिमती वस्तु का मूल्य बताता हैं|
Moral:
- कभी भी अपने पास उपस्थित वस्तु का मूल्य ना आकें, बस इतना ही जान लीजिये की जितना आपको बहुमूल्य चीजे मिली हैं, वतना भी किसी-किसी को जीवन भर नही मिल पाया| आप उससे कितना मूल्यवान हैं खुद अंदाजा लगा लीजिये|
- दुनियां क्या बोलती हैं ये महत्वपूर्ण नही है, आप क्या सोचते हैं ये महत्पूर्ण हैं|
- जीवन में होता हैं ऐसा| जब हम उस काम को करते-करते बहुत ही ज्यादा थक जाते हैं, और उसका परिणाम हमें नही मिलता| फिर दुनिया देखते हैं तो ऐसा प्रतीत होता हैं जैसे लोग बहुत तेजी से आगे बढ़ रहे| एक बात कहना चाहूँगा मित्रो! “सफलता समय मांगती हैं|” और “मैदान छोड़ना, उससे बड़ी कायरता कुछ और नही”| जिस दिन कामयाबी हाथ लगेगी उस दिन से फिर, सब पीछे नजर आयेंगे|
धन्यवाद!
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Bahut khub mere bhai
Thank you sir
बहुत बहुत धन्यवाद!