Here a lot of collection of Latest New Moral Stories in Hindi. We Published every day an Interesting Story based on Moral Education. Guy’s Todays our Inspirational Story is “अंधकार में सहमे शिष्य को गुरु की सीख“.
This story is based on success. Once a person can walk with the helper’s hand, he always needs support. If you want to make your child successful, then definitely take it to the stairs but let him step by step with the help of his feet. It is the work of parents and teachers to show the way and they are still doing well every time so that the goal of the child is visible but in it, you have to do it yourself.
मित्रों! यह एक ऐसा Website है, जहां हम रोज New Moral Stories Hindi में बच्चों के लिए Share करते हैं! जो व्यक्ति को एक नैतिक सीख देती है और जीने की कला सिखाती है|
दोस्तों इसमें प्रेषित सभी Moral Stories पाश्चात्य काल के किसी न किसी दैनिक जीवन में घटित घटना से संबंधित है! या फिर लोगों द्वारा कथित तौर पर कही गई है| जो आज निश्चित तौर पर हमारे दैनिक जीवन में घटित होती है!
So Friends! Today’s our
INTERESTING MORAL STORY
“अंधकार में सहमे शिष्य को गुरु की सीख”
एक शिष्य को अपने गुरु के आश्रम में शिक्षा पाते-पाते काफी समय हो चुका था| उसकी शिक्षा पूर्ण होने वाली थी| चार दिन बाद उसे घर जाना था| तीसरा दिन संध्याकाल में जब वह अपने गुरु से पढ़कर उठा तो लगभग अंधेरा हो चुका था, उसे मंदिर जाना था| उसने सोचा कि अंधेरे में मंदिर की सीढ़ियां नहीं दिखेगी| अतः गुरुदेव से दीपक माँग लिया जाए|
उसने गुरुदेव से कहा: गुरुदेव! अंधेरे के कारण रास्ता नहीं सूझ रहा है| मैं मंदिर की सीढ़ियां नहीं चढ़ पाऊंगा आप रोशनी के लिए एक दीपक दे दे|
गुरु ने उसके हाथ पर एक दीपक रख दिया| किंतु जैसे ही शिष्य मंदिर की पहली सीढ़ी पर पहुंचा गुरु ने दीपक बुझा दिया| शिष्य चकित होते हुए बोला: यह आपने क्या किया गुरुदेव? इस गहन अंधकार में अब कैसे आगे जा पाऊंगा?
तब गुरु ने उसे जीवन दर्शन समझाए: “जब एक सीढ़ी पर पैर रख दिया तो आगे की सीढ़ियां मिलती चली जाएगी| किसी अन्य के द्वारा प्रदत दीपक के सहारे जो प्रकाश मिलता है, उससे अंधेरा अपनाना बेहतर है|”
Must Read: New Moral Stories in Hindi
अंधकार में स्वयं मार्ग खोजों, ऐसा करते-करते तुम्हारे भीतर एक नया दीपक जल उठेगा| अंधकार में गिरने से, टकराने से, असुविधाओं के बीच से तुम्हारी लक्ष्य प्रकाशित होगा| इस दीपक के सहारे तुम गिरोगे तो नहीं, किंतु तुम्हारा लक्ष्य खो जाएगा इसलिए मैंने तुम्हारी हाथ में रखा दीपक बुझा दिया|
यह सुनकर शिष्य के अंतर्मन की चक्षु खुल गए, वह भय रहित होकर अंधकार में आगे बढ़ता गया और अपने लक्ष्य तक पहुंच गया|
यह Moral Story सफलता पर आधारित है। एक बार जब कोई व्यक्ति अपने मंजिल के राह पर सहायता करने वाले के हाथ पकड़कर चलता है, तो उसे हमेशा समर्थन की आवश्यकता होती है।
अगर आप अपने बच्चे को सफल बनाना चाहते हैं, तो उसे सीढ़ियों तक जरूर ले जाएं किन्तु उसे अपने पैरों की मदद से कदम से कदम मिलाकर चलने दें। रास्ता दिखाना माता-पिता और शिक्षकों का कर्तव्य है, और वे आज भी हर संभव भलीभांति कर रहे हैं, ताकि बच्चे का लक्ष्य दिखाई दे लेकिन उनके रास्ता दिखाने के बाद, खुद की मंजिल को पाना ही यह आपका कर्तव्य हैं।
Moral:
- यदि आप माता-पिता व गुरु हैं तो हर संभव अपने बच्चो को रास्ता दिखाए, यह आपका कर्तव्य हैं|
- और अपने माता-पिता व गुरु के अथक प्रयासों के बाद भी अगर बच्चे नही सुधरते तो उसका दुर्भाग्य हैं, उसके जैसा अधम कोई भी नही| उसको उसके ही हालत में छोड़ दे, अब तक आपकी जितना मेहनत बर्बाद हुआ हैं, वही उसकी सजा हैं| वक्त की मार सब दिखा देती हैं|
- किसी के पैरो में गिरकर कामयाबी पाने से बेहतर हैं, अपने पैरो पर चलकर लुच बन्ने की ठान लो|
पहचान
भले ही छोटी हो
लेकिन
खुद के दम पर ही होनी चाहिए
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धन्यवाद!
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