Here available New Moral Stories in Hindi based on Moral Education. Education is a very important thing in our life. It makes us aware of being right in life. Many times we get into such an adverse situation of daily life that some do not understand what to do and how to do it? I would like to say that there is only one Valuable Education in our life that we are aware of wrong ways and avoid going there. Today’s our New Story is “मन के विकार”.
मित्रों! यह एक ऐसा Website है, जहां हम रोज New Moral Stories Hindi में बच्चों के लिए Share करते हैं! जो व्यक्ति को एक नैतिक सीख देती है और जीने की कला सिखाती है|
दोस्तों इसमें प्रेषित सभी Moral Stories पाश्चात्य काल के किसी न किसी दैनिक जीवन में घटित घटना से संबंधित है! या फिर लोगों द्वारा कथित तौर पर कही गई है| जो आज निश्चित तौर पर हमारे दैनिक जीवन में घटित होती है!
So Friends! Today’s our
INTERESTING MORAL STORY
” मन के विकार “
मगध के राजा चित्रांगद अपनी प्रजा का बहुत ध्यान रखते थे|उन्होंने अपने राज्य में अनेक विद्यालय, चिकित्सालय और अनाथालय का निर्माण करवाय ताकि कोई भी व्यक्ति शिक्षा, चिकित्सा और आश्रय से वंचित ना रहे| एक दिन अपनी प्रजा के सुख-दुख का पता लगाने के लिए वे अपने मंत्री के साथ दौर पर निकले| उन्होंने गांव,कस्बों व खेड़ो (किसानों की बस्ती) की यात्रा पर विभिन्न समस्याओं को जाना| राजा ने चिंतित लोगों को उनकी समस्याओं के शीघ्र निदान का आश्वासन दिया|
एक दिन जंगल से गुजरते हुए राजा को एक तेजस्वी संत से मिलने का मौका मिला| संत एक छोटी सी कुटिया में रहकर छात्रों को पढ़ाते और सादगी पूर्ण जीवन व्यतीत करते थे| राजा ने संत को सोने की मोहरे भेट करनी चाही| संत ने कहा: ” राजन! इसका हम क्या करेंगे? इन्हें आप गरीबों में बांट दें|”
New Moral Stories in Hindi
राजा ने जानना चाहा कि आश्रम में धनापुर्ती कैसी होती है| तो संत बोले: ” हम स्वर्ण रसायन से तांबे को सोना बना देते हैं|” राजा ने चकित होकर कहा अगर आप वह दिव्य रसायन मुझे उपलब्ध करा दें तो मैं राज्य को वैभवशाली बना सकता हूं|संत ने कहा: ” इसके लिए आपको एक माह तक हमारे साथ सत्संग करना होगा तभी स्वर्ण रसायन बनाने का तरीका आपको बताया जाएगा|”
राजा एक माह तक सत्संग में आया एक दिन संत ने कहा: ” राजन! आवाज स्वर्ण रसायन का तरीका जान लीजिए|” इस पर राजा बोले: ” गुरुवर! अब मुझे स्वर्ण रसायन की जरूरत नहीं है|आपने मेरे ह्रदय को सीधे अमृत रसायन बना डाला है|”
यह कथा सत्संग की महिमा को इंगित करती है सत्संग से व्यक्ति लोभ, मोह, वासना आदि विकारों से सहज ही मुक्त हो जाता है और उसकी आत्मा प्रकाश में आलोकित हो जाती है|
Moral:
- यह सत्य हैं सत्संग से व्यक्ति लोभ, मोह, वासना आदि विकारों से सहज ही मुक्त हो जाता है|
- दान करना सबसे उत्तम कार्य हैं| व्यक्ति को यह संतोष करना चाहिए कि ईश्वर ने उसे सक्षम बनाया हैं और इस योग्य हैं की वह दान कर लोगो का विशेष मदद कर रहा हैं|
- आज समाज सत्संग को हेय की दृष्टि से देखती हैं| यह सत्य हैं की समाज में ढोंगी साधू -संत की भी कमी नही हैं और जिस तरीके से भारत में बाबा लोगो की एक के बाद एक जो कारनामे बहार आये हैं, लोगो का तो विश्वास ही उठा गया हैं| एक सरल भाषा में बोलूँगा: हो सके तो अपने विचार किताबों में ढूँढना कभी धोखा नही खाओगे| अगर शस्त्र नही उठाओगे तो राष्ट्र खो दोगे, और अगर शास्त्र नही उठाये तो अपनी संस्कृति|
धन्यवाद!
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