Motivational Story in Hindi- “ पिता का प्यार ”

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Motivational Story in Hindi

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INTERESTING MORAL STORY

“ पिता का प्यार ”

एक बार की बात हैं, एक बूढ़ा पिता और उसका जवान बेटा टहलने के लिए एक पार्क में गए।

बूढ़े पिता ने अपने बेटे से कहा !

बेटा मैं थक गया हूँ। थोड़ी देर बैठना चाहता हूँ, फिर पिता और बेटा दोनों पार्क के एक बेंच पर बैठ गए।

तभी पिता की नजर सामने की एक पेड़ पर गई। वहाँ उन्होंने देखा कि एक पक्षी पेड़ की टहनी पर बैठा है।

पिता थोड़ी देर तक उस पक्षी को देखते रहे। उसके बाद पिता ने अपने बेटे को पेड़ की टहनी पर बैठे उस पक्षी की ओर दिखाकर पूछा, बेटा जो पेड़ की टहनी पर बैठा है वह क्या है?

बेटे ने अपने पिता के प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा!

पिता जी वह तोता है।

कुछ मिनटों बाद पिता ने अपने बेटे से फिर से वही प्रश्न पूछा,

बेटा वह क्या है?

इसके बाद बेटे ने ऊँचे आवाज से बोला पिता जी अभी थोड़ी देर पहले ही तो बताई थी की वह तोता है।

थोड़े ही देर बाद पिता ने एक बार फिर से उसी प्रश्न को और पूछा कि बेटा जो ऊपर पेड़ की टहनी पर बैठा है वह क्या है?

अब बेटे को बहुत गुस्सा आ गया।

वह चिल्लाते हुए अपने पिता से कहने लगा, पापा क्या आपको कुछ सुनाई नहीं दे रहा या आपको कुछ भी समझ नहीं आ रहा हैं?

मैं आपको कितनी बार बता चूका कि वह तोता है तोता, फिर भी आप थोड़े-थोड़े देर बाद बार-बार केवल यही प्रश्न ही पूछे जा रहे हो। आखिर आपको यह जानकर करना क्या है?

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बेटे की बात सुनकर बूढ़े पिता ने बड़े ही नम्रतापूर्वक और धीमी आवाज में अपने बेटे से कहा!

बेटा मालूम है जब तुम करीब चार-पाँच साल के थे तो तुमने यह सवाल मुझसे पचासों बार पूछा था और यह सवाल पूछते वक्त तुम मुझे इतने प्यारे लग रहे थे कि मैं तुम्हारे हर सवाल पर तुम्हारे गाल पर एक किश देता और तुम्हे जवाब देते हुए कहता कि बेटा वह तोता है।

लेकिन तुम तो मेरे केवल 3 बार पूछने पर ही गुस्सा हो गए।

दोस्तों यह तो सिर्फ एक कहानी है लेकिन वास्तव में कई लोग अपने माता-पिता की बूढ़े हो जाने पर उनके साथ अच्छा व्यवहार नहीं करते। और उनकी छोटी-छोटी गलतियों पर उन्हें चिल्लाते हैं और गुस्सा होते हैं।

Moral:

जब भी हमारे माता-पिता हम पर निर्भर हो तब हमें उनके प्रति हमारी जिम्मेदारी अच्छे से निभानी चाहिए ।

माता-पिता को हमेशा अपने बच्चो के प्यार की आश होती हैं इसलिए उन्हें नाराज करने की बजाई उन्हें हमेशा खुश करनी चाहिए क्योंकि माता-पिता की देखभाल ही हमारी असली जिम्मेदारी है और हमें हमारी जिम्मेदारी से कभी नहीं भागना चाहिए।

धन्यवाद!

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