Motivational Small Stories in Hindi is our very important topic today. In which today’s titles is “गतिशील रहे”. This website we are sharing every day a lot of Moral Stories in Hindi Based on Moral Education.
Friends, this story presents such wrong thinking, which is present in all of us, due to which we go beyond success. These are the biggest diseases present in society today. We stop moving forward for fear of difficulties. Quit fighting for your goal.
If you want to get something, first of all, learn to get into the field. If you continue to grow, the light will continue to come in life, if you stop, it will be dark and dark.
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मित्रों! यह एक ऐसा Website है, जहां हम रोज Motivational Short Stories in Hindi Share करते हैं! जो व्यक्ति को एक नैतिक सीख देती है और जीने की कला सिखाती है|
दोस्तों इसमें प्रेषित सभी Moral Stories पाश्चात्य काल के किसी न किसी दैनिक जीवन में घटित घटना से संबंधित है! या फिर लोगों द्वारा कथित तौर पर कही गई है| जो आज निश्चित तौर पर हमारे दैनिक जीवन में घटित होती है!
So Friends! Today’s our
INTERESTING MORAL STORY
“गतिशील रहे“
एक साधक अंधेरी रात में जा रहा था| उसे लंबा रास्ता तय करना था| गुरु ने उसे लालटेन देते हुए कहा: “इसके प्रकार में तुम अपना रास्ता देख पाओगे, मार्ग सुख से कटेगा, इसे ले जाओ| साधक ने देखा कि लालटेन का प्रकाश तीन चार फीट तक फैल रहा है|
इसके उसके मन में संदेह हुआ की रास्ता लंबा है, प्रकाश केवल तीन चार फीट तक ही पड़ता है| रास्ता पार कैसे कर पाऊंगा? वह उलझ गया और उलझता ही गया| वह बोला: तीर-चार फुट का प्रकाश मुझे दस मील की यात्रा कैसे करा पाएगा?
यह विधि को समझने के लिए, बिना समझे, साधक उलझ गया, विधि को ठीक से समझ लेते तो तीन-चार फिट का प्रकाश, दस मील की यात्रा करा सकता है|
Motivational Short Stories in Hindi
यह प्रकाश दस मील पूरे पथ को प्रकाशित कर सकता है| आप चलते रहे! दस मील का रास्ता प्रकाशित हो जाएगा और यदि उसी बिंदु पर खड़े रह गए तो दो फीट का रास्ता ही प्रकाशित होगा| शेष अंधकार ही अंधकार होगा आवश्यकता है चलने की, सतत गतिशील रहने की|
यही क्रिया हमारे लक्ष्य के साथ भी होता हैं, अतः विधि को समझे और चले|
विधि को समझना ही पर्याप्त नहीं है चलना भी पड़ेगा| आगे से आगे बढ़ना होगा| यदि नहीं चले, रुके रह गए, तो प्रकाश जहां पड़ता है, वहीं पड़ेगा, वह आगे नहीं बढ़ेगा| वह तभी बढ़ेगा, जब हम बढ़ेंगे, वह हमारे रुकने के साथ रुकेगा, और बढ़ने के साथ बढ़ेगा|
अभ्यास करते जाएं| आप अपनी मंजिल तक पहुंच जाएंगे मंजिल स्वतः मिल जाएगी|
Moral:
- समाज को भी आज एक सही मार्गदर्शक की आवश्यकता हैं| वरना शिक्षा व्यवस्था की जो हालत हैं, अनेक बच्चे पढाई छोड़, मार्ग से ही विचलित हो जाते हैं, जरा उम्र पूछना उनकी? पहले लोग पढ़ाई के लिए पिटे जाते थे, और आज पढाई ना करने के लिए| पाठशाला हैं लेकिन अब बच्चे नही|
- सतत प्रयास करते रहे, कोशिश करने वालो को ही सफलता मिलती हैं, वरना रुका हुआ पानी भी गन्दा हो जाता हैं|
- भाग्य के भरोसे बैठे रहने वालो को सिर्फ उतना ही मिलता हैं, जितना कोशिश करने वाले छोड़ देते हैं|
- अपने लक्ष्य पर अडिग रहिये| रुपरेखा बनाइये, और निरंतर उसका एक हिस्सा पूरा करिए जब तक मंजिल मिल नही जाती|
धन्यवाद!
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