Are you looking for the Moral Story in Hindi? Now you are in the right place. This is www.thoughtsguruji.com. Here we shared a lot of Moral Stories in Hindi. Friends! Here Collection of Interesting Moral Stories in Hindi. Now our Today’s Moral Story is “थोड़ी सी ही तो कसर बाकी थी”.
दोस्तों! नीचे हमने बहुत ही दिलचस्प कहानी आप से साझा किया हैं| जीवन में लगातार असफलताओ के कारण एक समय के बाद हम हताश और निराश हो कर बैठ जाते हैं, या फिर अपना लक्ष्य ही बदल लेते हैं| इस Moral Story के माध्यम से हम ने बताया हैं कि “कोशिश जीवन का एक अहम नियम हैं” जिसने यह त्याग दिया समझो जीते-जीते वह उस मरे हुए के सामान हैं, जो कुछ नही कर सकता|Story जरुर प्राचीन हैं लेकिन आपको सीख मिलेगी|
मित्रों! यह एक ऐसा Website है, जहां हम रोज Moral Story in Hindi में बच्चों के लिए Share करते हैं! जो व्यक्ति को एक नैतिक सीख देती है और जीने की कला सिखाती है|
दोस्तों इसमें प्रेषित सभी Moral Stories पाश्चात्य काल के किसी न किसी दैनिक जीवन में घटित घटना से संबंधित है! या फिर लोगों द्वारा कथित तौर पर कही गई है| जो आज निश्चित तौर पर हमारे दैनिक जीवन में घटित होती है!
So Friends! Today’s our
INTERESTING MORAL STORY
“थोड़ी सी ही तो कसर बाकी थी”
स्वामी प्रणवानंद जी ने अपने जीवन में एक लक्ष्य बनाया था, कि वे मां गायत्री के साक्षात दर्शन करें और इसके लिए उन्होंने 24-24 लाख मंत्रो के 23 अनुष्ठान संपन्न किए| पर उन्हें न तो भगवती गायत्री के दर्शन हुई और न ही किसी प्रकार की कोई अनुभूति|
इससे प्रणवानंद अत्यधिक बेचैन और निराश हो गए और उन्होंने अनुष्ठान करने का विचार छोड़ दिया| उसी दिन उसके गुरु लाहिड़ी महाशय अकस्मात मिले, और बोले: ” अनुष्ठान क्यों छोड़ दिया ? ” प्रणवानंद जी ने हाथ जोड़कर कहा ” मंत्र आदि सब ढोंग है|”
और अब मुझे इन पर कोई भरोसा नहीं रहा| तेईस अनुष्ठान करने के बाद भी किसी प्रकार की कोई अनुभूति नहीं हुई|
Must Read: Moral Story in Hindi
लाहिड़ी महाशय ने कहा: ” मूर्ख इस बार एक और अनुष्ठान कर ले विचलित होने की जरूरत नहीं|”
प्रणवानंद जी ने बेमन से 24 वा अनुष्ठान प्रारंभ किया और भगवती गायत्री के जाज्वल्यमान दर्शन हो गए|उसकी मन की इच्छा पूरी हो गई|यदि उन्हें लाहिड़ी महाशय नही मिलते तो जीवन में शायद ही उसकी इच्छा पूरी होती|
दर्शन देते समय मां गायत्री ने कहा: ” तू व्यर्थ ही निराश हो रहा था| मैं तो तुझसे मिलना चाहती थी पर जब तूने अनुष्ठान करने का निश्चय त्याग दिया तो मुझे बहुत निराशा हुई|
वास्तव में ही कभी-कभी सफलता अगले कदम पर ही होती है| और दुर्भाग्य से हम रुक जाते हैं तथा जो सफलता मिलनी चाहिए| उससे वंचित रह जाते हैं
Moral:
- जीवन में कभी भी अपने लक्ष्य को लेकर समझौता ना करे| अगर आप असफल हो रहे हैं, जो जरुर आप अपना 100% नही दे रहे, कोई तो गलती हैं जो आप कर रहे हो, या कोई ऐसा चीज जिससे आप चुक रहे हो, वरना 100% देने वाले सीधा सफल बना कर ही दम लेते हैं|
- एक बात याद रखना, कभी असफल ना होने वाला व्यक्ति, सफलता की जो आतंरिक ख़ुशी होती हैं ना, जो अन्दर से आती हैं कि हम्म “मैंने ये कर दिखाया” वो कभी महसूस नही कर पाता|
- “Failure is the best teacher” एक बात याद रखिएगा यहां जितने लोगो ने भी झंडे गाड़े हैं ना कभी एक बार में सफल नही हुए| एक बात याद रखना “बार-बार जितने वाले की जीत से सिर्फ Headline बनती हैं, लेकिन जब हमेशा हारने वाला जीतता हैं तो इतिहास बनता हैं|”
धन्यवाद!
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