Here available a lot of Moral Stories for kids in Hindi. We published everyday Moral Stories on this www.thoughtsguruji.com for everyone. Now today’s our Story for kids “पहचानो अपने आप को“.
It’s a really special story for you to keep reading to start to end. Something similar happens in human life too. We study the biggest with every possible effort of the parents, but when things come up for jobs, we become unemployed. And the Velas stay in the house and never seek the hobby or quality inside them. Then they continue to curse fate. We hope you will like this Moral Story, share and Subscribe to our Website.
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दोस्तों इसमें प्रेषित सभी Moral Stories पाश्चात्य काल के किसी न किसी दैनिक जीवन में घटित घटना से संबंधित है! या फिर लोगों द्वारा कथित तौर पर कही गई है| जो आज निश्चित तौर पर हमारे दैनिक जीवन में घटित होती है!
So Friends! Today’s our
INTERESTING MORAL STORY
पहचानो अपने आप को
एक बार भगवान शिव ने अपने भक्तों को उनकी योग्यता अनुसार गुण प्रदान किये| एक भक्त को एक गुण प्रदान किया| दूसरे भक्त को 2 गुण प्रदान किये तथा तीसरे भक्त को उसकी योग्यता के अनुसार 3 गुण प्रदान की|
काफी समय उपरांत भगवान शिव ने जिसको पांच गुण दिए थे, उससे पूछा: “तुमने 5 गुणों का क्या किया” ?
उसने कहा: ” आपने! कृपा करके मुझे जो पांच गुण दिए थे, उनका मैंने उपयोग किया, उनका विकास किया अब मेरे पास दस है| भगवान शिव ने कहा: “बहुत अच्छे! तुम वास्तव में योग्य हो, जो मैंने तुम्हें प्रदान किया है, उसका तुम ने श्रेष्ठ उपयोग किया है| मैं तुम्हें और गुण प्रदान करूंगा|
दुसरे व्यक्ति को जिसे 2 गुण दिए थे, उसने दो गुणों का विकास किया और 4 गुण बना लिया|
Moral Stories For Kids
अंत में भगवान शिव उसके पास पहुचें जिसे 1 गुण प्रदान किया था|उसने कहा: “भगवन आपने केवल मुझे एक ही गुण प्रदान किया है, आप बहुत ही कठोर है, मैंने सोचा कि इस एक गुण से क्या कर लूंगा, सोच कर मैंने उसे नष्ट कर दिया|”
भगवान ने कहा: ” तेरा जीवन में कुछ नहीं हो सकता, और तू जीवन भर अयोग्य और हिन ही रहेगा|”
इतनी कठोर बात ईश्वर करते नहीं है, परंतु सत्य तो यही है कि भगवान चाहे 1 गुण दे, चाहे दस गुण यदि हम उन्हीं का विकास करते रहेंगे तो निश्चय ही वृद्धि होगी|
अपने आपको हीन समझना, तुच्छ समझना, और बिना पुरुषार्थ किए, बिना परिश्रम के ईश्वर को दोषी ठहराना, और कुछ नहीं, अपने आप को ही धोखा देना है| परमात्मा ने अवश्य ही हर व्यक्ति को, कोई ना कोई विशेषता, कोई ना कोई गुण प्रदान की है, आवश्यकता है तो अपने उस गुण को पहचानने की, और उस गुण का विकास करने की|क्योंकि 1 गुण से ही दूसरे गुण का उत्पत्ति होता है|
Moral:
- हर मनुष्य के पास अपने-अपने योग्यता के अनुसार गुण विद्यमान हैं| लेकिन भाग्य को इस कारण से कोसना उचित नही कि मैं उस मनुष्य के जैसा क्यों नही हूँ| अपने में जो काबिलियत हैं उसको निखारो| आप अवश्य सफल होंगे|
- वास्तव में उस मनुष्य का कुछ भी नही हो सकता जो बैठे-बैठे समय तो बर्बाद कर रहा हैं, साथ ही भाग्य को भी दोष देता रहता|एक बात कहना चाहूँगा दोस्तों: “प्रयत्नशील रहने से ही सफलता मिलती हैं, वरना रुका हुआ पानी भी गन्दा हो जाता हैं|”
- ईश्वर चाहे एक गुण दे, चाहे दस गुण यदि हम उन्हीं का विकास करते रहेंगे तो निश्चय ही वृद्धि होगी| सबसे बड़ी बात तो उस एक गुण को पहचानना हैं|
हर किसी के अन्दर
अपनी ताकत और कमजोरी होती हैं ,
“मछली “जंगल में नही दौड़ सकती
और
“शेर “कभी पानी में राजा नही बन सकता |
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धन्यवाद!
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