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नैतिक शिक्षा हमारे जीवन के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण हैं|शिक्षा ही हमें अपने गुणों से परिचित करता हैं|तथा समाज में हमारे आदर्श को ऊँचा उठता हैं| हर एक Moral Stories हमें एक नई सिख देती हैं|ताकि उन तथ्यों को जानकर हम उसे अपने जीवन में उपयोग करे|और आने वाली ऐसे ही किसी विपरीत परिस्थितियों का सामना कर सके
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So Friends! Today’s our
INTERESTING MORAL STORY
“आरुणि की गुरु भक्ति “
प्राचीन काल में आचार्य धौम्य के आश्रम में आरुणि नाम का एक शिष्य शिक्षा ग्रहण कर रहा था|वह अत्यंत सेवाभाव विनम्र एवं गुरु आज्ञा पालक था, आलस्य तो उसके अंदर था ही नहीं|
एक बार जाड़े की रात में जोरों से वर्षा हुई, आरुणि के मन में आया कि यदि पानी खेतों से निकल गया तो फसल का नुकसान होगा|यही सोचकर वह अकेले खेतों की देखभाल के लिए निकल पड़ा|
उसने देखा कि एक जगह खेत का पानी मेड तोड़कर काफी तेजी से निकल रहा था वह जितना भी मिट्टी रखता पानी के तेज बहाव के कारण वह सब बह जाता जब काफी प्रयत्न करने के बाद भी आरुणि पानी को ना रोक सका|
Interesting Moral Stories In Hindi
तो वहीं पर लेट गया जिससे पानी का बहाव रुक गया|किंतु ठंड से उसका शरीर अकड़ गया|
सुबह जब सभी शिष्य आचार्य जी को प्रणाम कर रहे थे तो आरुणि नहीं दिखा|पूछने पर ज्ञात हुआ कि आरुणि खेत पर रात से ही गया हुआ है|गुरुदेव उसे खोजते हुए खेतों की तरफ आए तो उन्होंने आरुणि को लगभग बेहोशी की अवस्था में पाया|
आरुणि ने किसी तरह उठकर गुरु को प्रणाम किया|आचार्य सब कुछ समझ गए और उसकी आंखों में प्रेम आंसू छलक पड़े|
उन्होंने आरुणि को आशीर्वाद देते हुए कहा:- बेटा! बिना कुछ पढ़े ही तू सभी शास्त्रों का ज्ञाता हो जाएगा|गुरु कृपा से ही उसके अंदर ज्ञान की ज्योति जगमगा उठी|
कोई आवश्यक नहीं कि 10-20 वर्ष की सेवा के बाद ही गुरु प्रसन्न होंगे|अपनी श्रद्धा और समर्पण के द्वारा गुरु के प्रति एकनिष्ठ सेवा कार्य करने से शिष्य को उचित समय पर गुरुदेव स्वयं ही ज्ञान प्रदान कर देते हैं|
Moral:-
- आलस्य ही मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु हैं|जो आदमी को निठल्ला बना देता हैं|
- हमेशा जो भी काम हाथ में लेते हो उसके प्रति एकनिष्ठता होनी चाहिए जब तक पूर्ण ना हो|धैर्य कभी मत खोना|
- उचित समय आने पर परिणाम अवश्य मिलता हैं|लेकिन वह कार्य नियमित रूप से समय पर ही पूर्ण हो जाना चाहिए|
धन्यवाद!
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