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INTERESTING MORAL STORY
“बड़ा सोचो बड़ा बनो”
एक बार एक गरीब युवक नौकरी की तलाश में किसी दुसरे शहर जाने के लिए वह रेलगाड़ी में सफर कर रहा था।
उस युवक का परिवार बहुत ही गरीब था।
उसके घर में कभी-कभी ही सब्जी बनती थी, इसलिए उसने रास्ते में खाने के लिए अपने पास सिर्फ रोटियाँ ही रखी थी।
आधा रास्ता गुजर जाने के बाद उसे भूख लगने लगी, और वह अपने टिफिन से रोटियों को निकाल कर खाने लगा। उसके खाने का तरीका भी कुछ अजीब था।
वह पहले रोटी का टुकड़ा लेता और अंदर कुछ ऐसे खाता कि मानो वो रोटी के साथ और भी कुछ खा रहा है जबकि उसके पास केवल रोटियाँ ही थी।
उसके रोटी खाने के इस तरीके को देखकर आसपास में बैठे हुए लोग भी हैरान हो गए। वह युवक हर बार रोटी का एक टुकड़ा लेता और झूठमूठ का टिफिन में डालता और खाता।
सभी लोग सोचने लगे कि आखिर वह युवक ऐसा झूठमूठ का रोटी के टुकड़े को टिफिन मे डालकर क्यों खा रहा है।
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आखिरकार एक व्यक्ति से रहा नहीं गया तो उसने उस युवक से पूछा कि- भैया आप ऐसा क्यों कर रहे हो ?
तुम्हारे पास सब्जी तो है ही नहीं फिर भी आप रोटी के टुकड़े को हर बार टिफिन में डालकर क्यों खा रहे हो। मानो टिफिन में सब्जी हो।
तब उस युवक ने उत्तर दिया- भैया इस खाली टिफिन मे सब्जी नहीं है लेकिन मैं अपने मन में ये सोचकर खा रहा हूँ की इसमे बहुत सारा आचार है मैं आचार के साथ रोटी को खा रहा हूँ।
फिर उस व्यक्ति ने पूछा- इस खाली टिफिन में आचार मानकर खाने से क्या आपको आचार का स्वाद मिल पा रहा है ?
युवक ने उत्तर दिया- हाँ बिल्कुल आ रहा है। मैं रोटी के साथ आचार खा रहा हूँ और मुझे बहुत अच्छा भी लग रहा है।
उस युवक की बात को दूसरे यात्रियों ने भी सुना और फिर उनमें से एक यात्री बोला- जब सोचना ही है तुमको, तो आचार की जगह मटर पनीर क्यों नहीं सोचते हो ? इसका भी स्वाद तुम्हें मिल जाता।
तुम्हारे कहने के अनुसार तुमने यदि आचार सोचा तो आचार का स्वाद आया यदि आप और अधिक अच्छी चीजों के बारे में सोचते तो उनका भी स्वाद तुम्हें मिल जाता, यदि तुम्हें सोचना ही था तो छोटा क्यों सोचे तुम्हे तो बड़ा सोचना चाहिए था।
Moral:-
- अपनी सोच को बढ़ा रखिये क्यूंकि सोच बड़ी होगी तो सपने भी बड़े होंगे और आपके हौंसले भी बड़े होंगे।
- बड़ा सोचोगें तो बड़ा बनोगें , छोटा सोचोगें तो छोटे ही रह जाओगें।
धन्यवाद!
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Nice articles in hindi. padh ke bahot acha laga.