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मित्रों! यह एक ऐसा Website है जहां हम रोज एक ऐसे ही Short Stories with Moral Values में Share करते हैं! जो व्यक्ति को एक नैतिक सीख देती है और जीने की कला सिखाती है|
दोस्तों इसमें प्रेषित सभी Moral Stories पाश्चात्य काल के किसी न किसी दैनिक जीवन में घटित घटना से संबंधित है! या फिर लोगों द्वारा कथित तौर पर कही गई है| जो आज निश्चित तौर पर हमारे दैनिक जीवन में घटित होती है!
So Friends! Today’s our
INTERESTING MORAL STORY
“धर्मक्षेत्र”
महाभारत का युद्ध चल रहा था| आज दुर्योधन और अर्जुन आमने सामने थे बाणों का संघान लगातार हो रहा था, अर्जुन एक बार में जितने बानो का संघार करता, दुर्योधन उतने ही समय में, अर्जुन के बालों को काट कर उतने ही और बाणों का संघार कर चुका होता|
दुर्योधन की तत्परता और फुर्ती के समक्ष अर्जुन शिथिल पढ़ने लगा| एक क्षण वह उपस्थित हुआ जब अर्जुन के आंखों में आंसू आ गए| कृष्ण को अर्जुन की दुर्बलता का एहसास होने लगा परंतु कृष्ण ने अर्जुन को नहीं देखा| श्री कृष्णा स्थिर भाव से रथ चलाते रहें|
Moral Stories in Hindi for Class 7
अब दुर्योधन बाणों के तीव्र प्रहार से अर्जुन के रथ के अश्वों को लहूलुहान करने लगा| ऐसा करना उस समय युद्ध के नियमों के विपरीत था|कृष्णा थोड़ी देर तक देखते रहे फिर अपने रथ से कूद कर दुर्योधन के रथ के ऊपर चढ़ दुर्योधन के ठीक सामने जाकर खड़े हो गए|
कृष्णा को सामने देख दुर्योधन आश्चर्य में पड़ गया| दुर्योधन चकित रह गया| श्री कृष्ण बोले: दुर्योधन तुम अश्वों को घायल कर अनीति कर रहे हो यह कार्य तुम्हारे जैसे वीर को शोभा नहीं देता| कृष्ण की ओजस्वी वाणी सुनकर दुर्योधन स्थिर रह गया| दुर्योधन की स्थिरता उसकी मानसिक शिथिलता का एहसास करते ही, अर्जुन पुनः विवेक पूर्वक युद्ध करने लगा|
Moral:
धन्यवाद!
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