If you are looking for the Interesting Short Stories for Kids in Hindi. Now you are at the correct place. Here available a lot of moral stories based on Moral Education. Today’s our Moral Story is “मन मैला और तन को धोए”. It’s a very Inspirational Story on Conservatism and hypocrisy, In some way, Guru Nanak gave his support in fighting it.
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दोस्तों इसमें प्रेषित सभी Moral Stories पाश्चात्य काल के किसी न किसी दैनिक जीवन में घटित घटना से संबंधित है! या फिर लोगों द्वारा कथित तौर पर कही गई है| जो आज निश्चित तौर पर हमारे दैनिक जीवन में घटित होती है!
So Friends! Today’s our
INTERESTING MORAL STORY
“मन मैला और तन को धोए”
सिख धर्म के आदि गुरु नानक देव पूर्ण गुरु हुए हैं| एक बार वह किसी ब्राह्मण की रसोई में चले गए| वह काफी कर्मकांडी ब्राह्मण था, और अनाधिकार प्रवेश से ब्राह्मण क्रोधित हो गया और बोला: आपने मेरा चौका अपवित्र कर दिया है| आप बाहर निकल जाइए|
नानक देव रसोई से बाहर निकल आया और बोले: “मेरे बाहर आ जाने से थोड़े ही तुम्हारा चौका क्या पवित्र हो जाएगा?”
“क्यों नहीं हो जाएगा| मैं इसे अभी शुद्ध जल से धो लूंगा|” ब्राह्मण ने अकड़ के साथ बोलो|
“जल से क्या हो जाएगा चौका तब भी अपवित्र ही रहेगा”: नानक जी पुनः अपनी बात का समर्थन करते बोले|
“आप ऐसा कैसे कह सकते हैं” ब्राम्हण बोला|
Short Stories for Kids in Hindi
“जब तक तुम अपवित्र चौके में रहोगे तब तक तुम्हारा चौका किस प्रकार पवित्र हो सकता है|”
“आप मुझे अपवित्र कह रहे हैं|” ब्राम्हण को नानक से ऐसे उत्तर की आशा न थी|
“मैं जो कह रहा हूं सत्य कह रहा हूं|”
“आपकी बातों का क्या आधार है|” ब्राह्मण ने पूछा|
तुम्हारे अंदर अहंकार का भूत, क्रोध का चांडाल, अज्ञान की ढोंगी, निर्हयता का राक्षस, और पाप की राक्षसी बसी हुई है| तुम अभी भी अपने आप को पवित्र समझते हो? जब तक तुम अपवित्र हो, तब तक लाख धो लो, साफ कर लो पर तुम्हारा चौका पवित्र नहीं होगा| स्वयं को पवित्र बनाकर ही तुम चौके को पवित्र बना सकते हो- गुरुजी का वचन था|
सत्य ही तो है: मन ही मैला हो तो फिर तन को धोने से लाभ ही क्या है?
कर्म करते रहे, मेहनत करते रहे, परंतु मन में दूषित विचार भरे हुए हैं तो लक्ष्य में सफलता भला कैसे मिल सकेगी| बाहरी सफाई के साथ आंतरिक सफाई भी उतनी ही आवश्यक है|
Moral:
- मन में दूषित विचार भरे हुए हैं तो लक्ष्य में सफलता कभी नही मिल सकती|
- शास्त्रों का ज्ञान होना उत्कृष्ट हैं लेकिन अमल में लाना उससे भी उत्तम हैं|
- जात-पात सब मनुष्यों की देन हैं| उचित कार्य करने वालों को कोई नही पूछता हैं की आपकी जाति क्या हैं|
- हमेशा कर्म प्रधान रहिये, परिणाम तो मेहनत के अनुसार ही मिलेगा| अच्छे को अच्छा और बुरे को बुरा|
धन्यवाद!
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