Hello guys! This is www.thoughtsguruji.com. Today’s we are sharing The Best 7 Interesting Moral Stories in Hindi Based on Moral Education. Here a lot of collection of The Best Interesting Moral Stories In Hindi. In this Website, we are sharing every day a New Stories written in Hindi. We hope you will like this Hindi Story Collection. Like, Share and Subscribe to this Site.
What is Moral Education ?
Friends! Moral Education is the base of life. which shows us the right and just way to lead our lives. Being honest, just, legitimate, accommodative, generous, to share love and care, show consideration and sensitivity are basic principles of moral education. It is more of a practice which enriches the way of our lifestyle.
मित्रों! यह एक ऐसा Website है, जहां हम रोज Interesting Moral Stories Hindi में Share करते हैं! जो व्यक्ति को एक नैतिक सीख देती है और जीने की कला सिखाती है|
दोस्तों इसमें प्रेषित सभी Moral Stories पाश्चात्य काल के किसी न किसी दैनिक जीवन में घटित घटना से संबंधित है! या फिर लोगों द्वारा कथित तौर पर कही गई है| जो आज निश्चित तौर पर हमारे दैनिक जीवन में घटित होती है!
So Friends! Today’s our
1. INTERESTING MORAL STORY
“आरुणि की गुरु भक्ति “
प्राचीन काल में आचार्य धौम्य के आश्रम में आरुणि नाम का एक शिष्य शिक्षा ग्रहण कर रहा था|वह अत्यंत सेवाभाव विनम्र एवं गुरु आज्ञा पालक था, आलस्य तो उसके अंदर था ही नहीं|
एक बार जाड़े की रात में जोरों से वर्षा हुई, आरुणि के मन में आया कि यदि पानी खेतों से निकल गया तो फसल का नुकसान होगा|यही सोचकर वह अकेले खेतों की देखभाल के लिए निकल पड़ा|
उसने देखा कि एक जगह खेत का पानी मेड तोड़कर काफी तेजी से निकल रहा था वह जितना भी मिट्टी रखता पानी के तेज बहाव के कारण वह सब बह जाता जब काफी प्रयत्न करने के बाद भी आरुणि पानी को ना रोक सका|
7 Interesting Moral Stories In Hindi
तो वहीं पर लेट गया जिससे पानी का बहाव रुक गया|किंतु ठंड से उसका शरीर अकड़ गया|
सुबह जब सभी शिष्य आचार्य जी को प्रणाम कर रहे थे तो आरुणि नहीं दिखा|पूछने पर ज्ञात हुआ कि आरुणि खेत पर रात से ही गया हुआ है|गुरुदेव उसे खोजते हुए खेतों की तरफ आए तो उन्होंने आरुणि को लगभग बेहोशी की अवस्था में पाया|
आरुणि ने किसी तरह उठकर गुरु को प्रणाम किया|आचार्य सब कुछ समझ गए और उसकी आंखों में प्रेम आंसू छलक पड़े|
उन्होंने आरुणि को आशीर्वाद देते हुए कहा:- बेटा! बिना कुछ पढ़े ही तू सभी शास्त्रों का ज्ञाता हो जाएगा|गुरु कृपा से ही उसके अंदर ज्ञान की ज्योति जगमगा उठी|
कोई आवश्यक नहीं कि 10-20 वर्ष की सेवा के बाद ही गुरु प्रसन्न होंगे|अपनी श्रद्धा और समर्पण के द्वारा गुरु के प्रति एकनिष्ठ सेवा कार्य करने से शिष्य को उचित समय पर गुरुदेव स्वयं ही ज्ञान प्रदान कर देते हैं|
Moral:-
- आलस्य ही मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु हैं|जो आदमी को निठल्ला बना देता हैं|
- हमेशा जो भी काम हाथ में लेते हो उसके प्रति एकनिष्ठता होनी चाहिए जब तक पूर्ण ना हो|धैर्य कभी मत खोना|
- उचित समय आने पर परिणाम अवश्य मिलता हैं|लेकिन वह कार्य नियमित समय पर ही पूर्ण हो जाना चाहिए|
धन्यवाद!
2. INTERESTING MORAL STORY
” सुपात्र और कुपात्र “
एक सन्यासी की सिद्धियों से प्रभावित होकर एक बार एक महिला उनसे सिद्धियां प्राप्त करने गई|कुछ समय तक साधना उपासना करने के बाद जब उसे कोई विशेष उपलब्धि नहीं हुई तो वह सन्यासी के पास जाकर बोली- देव!भगवान भी बड़ा पक्षपाती है|वह किसी-किसी को तो सिद्धि स्वामी बना देता है और किसी को कुछ भी नहीं देता|
सन्यासी मुस्कुराए और बोले- ऐसा नहीं है|भगवान विशिष्ट सिद्धियां सुपात्र को ही देता है|महिला ने कहा- ” जब पात्रता विकसित करके हर कोई उन्हें प्राप्त कर सकता है तो इससे भगवान की क्या विशेषता रही ?उसे तो सब को एक समान रूप से अनुदान देना चाहिए|”
7 Interesting Moral Stories In Hindi
सन्यासी उस समय तो चुप रहे परंतु दूसरे दिन उन्होंने गाँव के एक मूर्ख व्यक्ति से कहा- “अमुक महिला के घर जाकर उससे उनके सोने के आभूषण मांग लावो|”
मुर्ख व्यक्ति ने जाकर उस महिला के आभूषण मांगे|उस महिला ने उसे झिड़ककर आभूषण बिना ही दिए भगा दिया|
थोड़ी देर बाद सन्यासी उस महिला के पास पहुंचे और बोले- ” आप 1 दिन के लिए अपने आभूषण मुझे दे दे|आवश्यक काम करके आपको लौटा दूंगा|”
उस महिला ने कोई प्रश्न पूछे बिना, अपना संदूक खोला और सहर्ष अपने कीमती आभूषण सन्यासी को उसी समय हाथ में सौप दिए|आभूषण हाथ में लिए हुए ही सन्यासी ने उस महिला से पूछा – ” अभी-अभी जो व्यक्ति आया था उसे अपने आभूषण क्यों नहीं दिए ? ”
वह बोली – ” मैं उस मुर्ख को अपने आभूषण कैसे दे देती है ?
सन्यासी बोले – ” जब आप सामान्य आभूषण भी सोचे-विचारे बिना कुपात्र को नहीं दे सकती तो परमात्मा अपने दिव्य अनुदान कुपात्रो को कैसे दे सकते हैं|” वह तो बार-बार इस बात का पूरा ध्यान देता है कि जिसको अनुदान दिया जा रहा है उसमें पात्रता है या नहीं|
Moral:-
- आज समाज को भी ऐसे ही सोच की आवश्यकता हैं|अमीर(कुपात्र) नौकरी खरीदते हैं और योग्य(सुपात्र) बेरोजगार होकर आत्महत्या कर रहा|परिणाम “देश का विकास” जो आप देख ही रहे हैं|यकीन नही तो उस सरकारी नौकरी की Interview दिलाने गए गरीब युवक से पूछो ?
- कभी भी धैर्य मत खोना|जिस तरह से आप मेहनत करोगे उसका रिजल्ट भी वैसा ही आएगा|अगर असफल हो रहे हो तो कही ना कही आप चुक रहे हो, कोई एक ऐसी गलती कर रहे हो जो आपको मंजिल से रोक रही हैं|
धन्यवाद!
3. INTERESTING MORAL STORY
” निस्पृहता “
दो बौद्ध भिक्षुक भ्रमण के पद पर जा रहे थे, मार्ग में एक नदी पड़ती थी|जिसके किनारे उन्हें एक युवती मिली|युवती उस जल प्रवाह में प्रविष्ट होकर उसे पार करने में भय का अनुभव कर रही थी|अतः दोनों में से एक भिक्षुक ने उसे अपने कंधों पर बैठाया और नदी के उस पार ले जाकर छोड़ दिया|
जिस भिक्षुक ने इस घटना को देखा था वह बार-बार बैठाने वाले भिक्षुक को ऐसा करने के लिए धिक्कारने लगा जब उसने यही बात कई बार दोहराई तो युवती को बैठाने वाले भिक्षुक ने सहज भाव से कहा कि ” मैंने तो उसे नदी पार कराते समय कंधों पर ही बैठाया था लेकिन तुम तो अभी तक उसे सिर पर लादे हुए चल रहे हो|”
7 Interesting Moral Stories In Hindi
सामान्य से प्रतीत होने वाले इस प्रसंग में जो गूढ़ बात छिपी है वही जीवन की सत्यता है, जीवन को अनेक आयामों से व्यक्ति चाहे या ना चाहे उसे होकर गुजरना पड़ता है|लेकिन जो उसे उसी भिक्षुक के भाती केवल क्षण विशेषो में धारण करता है वही वास्तविक योगी होता है|
” महत्व इस बात का नहीं कि किस व्यक्ति ने जीवन में क्या किया अपितु इस बात का है कि उसने किस-किस आग्रहों के या किन दबावों के वंशीभूत होकर किया|”
ऐसे व्यक्तियों का जीवन ही सही अर्थों में निस्पृह होता है “वही जगत के पंक में कमल पत्रवत रहने का रहस्य जानते हैं” और सही अर्थ में उनका जीवन ही सार्थक हैं|निस्पृह व्यतीत होता हुआ सन्यस्त की श्रेणी में आने योग्य हो सकता है|
” गेरुए वस्त्र धारण कर जंगल-जंगल भटकने वाले व्यक्ति सन्यस्त श्रेणी में गणना योग्य नहीं हो सकते|”
Moral:-
- निस्पृहता का अर्थ- वह मनोवृत्ति जो किसी बात या वस्तु की प्राप्ति की ओर ध्यान नहीं ले जाती हो अर्थात लोभ या लालसा न होने का भाव|
- किसी भी स्थिति को हमेशा क्षण विशेष में ही धारण करना चाहिए|आज अगर दुःख हैं तो कल सुख अवश्य आएगा बस अपने मार्ग से कभी मत हटना|
- एक बार अर्जुन ने कृष्ण से कहा- इस दिवार पर कुछ ऐसा लिखो की, ख़ुशी में पढूं तो दुःख हो और दुःख में पढूं तो ख़ुशी हो|श्री कृष्ण ने लिखा- ” ये वक्त भी गुजर जायेगा “
- एक बहुत ही महत्पूर्ण बात ” महत्व इस बात का नहीं कि किस व्यक्ति ने जीवन में क्या किया अपितु इस बात का है कि उसने किस-किस आग्रहों के या किन दबावों के वंशीभूत होकर किया|”
धन्यवाद!
4. INTERESTING MORAL STORY
” संतोष का पुरुष्कार “
आसफ़उद्दौला नेक बादशाह था|जो भी उसके सामने हाथ फैलाता वह उसकी झोली भर देता था|एक दिन उसने एक फकीर को गाते हुए सुना- ” जिसको ना दे मौला उसको दे आसफ़उद्दौला! ” बादशाह खुश हुआ|उसने फकीर को बुलाकर एक बड़ा तरबूज दिया|फकीर ने तरबूज ले लिया मगर वह दुखी था|
उसने सोचा तरबूज तो कहीं भी मिल जाएगा|बादशाह को कुछ मूल्यवान चीज देनी चाहिए थी|
थोड़ी देर बाद एक और फकीर गाता हुआ बादशाह के पास से गुजरा उसके बोल थे- ” मौला दिलवाए तो मिल जाए मौला दिलवाए तो मिल जाए ” उसने उस फकीर को दो आने दे दिया फकीर ने दो आना लिए और झूमता हुआ चल दिया|
7 Interesting Moral Stories In Hindi
दोनों फकीरों की रास्ते में भेंट हुई उन्होंने एक-दूसरे से पूछा की बादशाह ने क्या दिया है|पहले ने निराशा स्वर में कहा ” सिर्फ एक तरबूज मिला है “|दूसरे ने खुश होकर बोला ” मुझे दो आने मिले हैं “|
तुम ही फायदे में रहे भाई! पहले फकीर ने कहा, दूसरा फकीर ने कहा ” जो मौला ने दिया ठीक है “|
पहले फकीर ने तरबूज दो आने में बेच दिया दूसरा फकीर तरबूज ले कर बड़ा हो खुश हुआ|वह खुशी-खुशी अपने ठिकाने पहुंचा|उसने तरबूज काटा तो उसकी आंखें फटी की फटी रह गई|उसमें हीरे जवाहरत भरे थे|
Best Small Moral Story in Hindi For Kids
कुछ दिन बाद पहला फकीर फिर से आसफ़उद्दौला से खैरात मांगने गया|बादशाह ने फकीर को पहचान लिया वह बोला- ” तुम अब भी मांगते हो ? उस दिन तरबूज दिया था कैसा निकला ? “
फकीर ने कहा- ” मैंने उसे दो आने में बेच दिया था “|
बादशाह ने कहा- ” भले आदमी उसमें मैंने तुम्हारे लिए हीरे-जवाहरात भरे थे और तुमने उसे बेच दिया|”
तुम्हारी सबसे बड़ी कमजोरी यह है कि तुम्हारे पास संतोष नहीं है|अगर तुमने संतोष करना सीख लिया होता तो तुम्हें वह सब कुछ मिल जाता जो तुमने सोचा भी नहीं था|लेकिन तुम्हें तरबूज से संतोष नहीं हुआ तुम और ज्यादा की उम्मीद रखने लगी|जबकि तुम्हारे बाद आने वाले फकीर को संतोष का पुरुष्कार मिला|
Moral:-
- मनुष्य के जीवन में संतोष ही सबसे बड़ा धन हैं|चाहे आप कितना भी कमा लीजिये लेकिन जब तक आप Satisfied नही होते सब व्यर्थ हैं|
- ज्यादा की आपेक्षा ही जीवन में असंतुष्टि पैदा करता हैं|जितना ईश्वर ने दिया हैं उसमे संतुष्ट रहिये कितनों को तो वो सब भी नशीब नही हुआ जो आपके पास हैं|
- इंशान को कर्म प्रधान होना चाहिए|जितना मेहनत करोगे उसका परिणाम भी वैसा ही मिलेगा और उसमे आपको संतुष्ट होना ही पड़ेगा|अगर लक्ष्य बड़ा हैं तो तैयारी उससे भी बड़ी होनी चाहिए|
धन्यवाद!
5. INTERESTING MORAL STORY
” बुरेपन से उबरना “
किसी पिता को अपने मित्रों से ज्ञात हुआ कि उसका पुत्र कुसंगति में पड़कर दुर्व्यसन पर आदी हो गया है|तथा बिगड़ गया है|पिता को सहसा अपने मित्रों की बात पर विश्वास नहीं हुआ और उन्होंने स्वयं अपनी आंखों से देखकर वस्तुस्थिति का को जानना चाहा|
उसके मित्रों ने ऐसा ही किया और उस पिता ने स्वयं अपनी आंखों से देखा कि वास्तव में उसका पुत्र एक पेड़ के नीचे अपने मित्रों के साथ व्यसन के सेवन में लगा हुआ है, तब तक उस पुत्र ने भी अपने पिता को देख लिया और उसे हड़बड़ाकर में जब कुछ और नहीं मिला तो उसने पेड़ के एक पत्ता को उठाकर अपने व पिता के मध्य में आड़ सी कर ली|
7 Interesting Moral Stories In Hindi
उसके पिता तत्क्षण वहां से अपने दोस्तों से यह कहते हुए मुड़ गए कि यह सत्य है कि मेरा पुत्र व्यसन करने लगा है किंतु यह कहना गलत है कि वह बिगड़ गया है क्योंकि अब भी उसकी आंखों में शर्म बाकी है|
लड़का घर पंहुचा वह बहुत ही डरा और घबराया हुआ था|कुछ देर बाद उसके पिता ने उसको आवाज दी उसका संतुलन और भी ज्यादा बिगड़ गया|लड़का अपने पिता के पास गया|
पिता ने अपने शालीनता का परिचय दिया उसे उदाहरण के माध्यम से उसके भविष्य की कल्पना करायी कि यदि आगे तुम्हारी हालत ऐसे ही रही तो जरा अपने व्यसन में लगे हुए एक दोस्त के पिता की स्थिति को देखो|चाहे कितनी भी पूंजी क्यों ना बनायीं हो उसके भले दादा जी ने लेकिन आज उसके पिता जी के दुर्व्यसनों में पड़े रहने से सब ख़तम हो गया हैं|
Stories for kids | Interesting Moral Story
उसकी माँ और बहन भी उनके साथ नही रहती|उसके दादा जी के मृत्यु उपरांत वह अपने माता जी को भी वृध्दाश्रम छोड़ आया|और अब तुम्हारा दोस्त ही बस उसके साथ हैं|और वो भी दुर्व्यसन में लगा हुआ हैं|तुम्हारे दोस्त के पिता जी बीमारी के शिकार होकर घर में ही मर रहा हैं|
अगर तुम्हे भी अपने जिंदगी ऐसी ही बर्बाद करनी हैं तो सोच लो|अन्यथा अपने डॉक्टर बनने की लक्ष्य की ओर आगे बढ़ो|एक बात हमेशा याद रखना- ” बेटा! मित्र सिर्फ साथी नही होना चाहिए सारथी भी होना चाहिए|” जो गलत राहो से अवगत कराये|न की गलत रहो में लेके जाये|
लड़का यह सब सुन शर्म से पानी-पानी हो गया|पिता से माफ़ी मांगने लगा|पिता जी बोले-” बेटा! अभी भी तुम में शर्म बाकि हैं इसे कभी मत खोना यह भी मनुष्य का एक अहम गुण हैं|”
एक और अहम बात जिंदगी में मैंने भी बहुत कुछ देखा हैं और उस तजुर्बे से बता रहा हु ” जीवन में कभी चमत्कार नही होते अगर कुछ करना हैं तो सिर्फ एक ही लक्ष्य बनाओ|बार-बार बदल कर भटकने से समय ही व्यतित होगा|”
बच्चो के लिए प्रेरित कहानियां
अगर कुछ पाना हैं तो अपने आप को उसमे झोक दो| रात जागो दिन जाओ लेकिन अपने मार्गे से कभी मत हटो|
“अगर जीवन का लक्ष्य हैं तभी वह सार्थक हैं वरना कितने लोग जीते हैं और कितने मरते हैं उनके जीवन का कोई मूल्य नही “
Moral:-
- शिक्षक भी आज माता पिता कि ही भूमिका निभाते हैं|एक बात कहना चाहूँगा आज विद्यार्थी अपने घर परिवार से ज्यादा स्कूल में आपके साथ विद्या अर्जित करता हैं|उनमें कुछ नैतिक गुण भी डालिए|
- शिक्षक भी विद्यार्थी के लिए उसी पिता की तरह होता हैं तब तक अपने शिष्यों को सुधारने के प्रयासों में व्यस्त रहते हैं, जब तक उनके नेत्रों में लज्जा का एक अंश भी शेष रह गया होता है|
- जिसने गुरु और माता-पिता के समक्ष लज्जा का संकोच का भी त्याग कर दिया उसके प्रति कोई आशा करना ही व्यर्थ है|यही समर्पण संपूर्ण शिष्यत्व का सार भूत तत्व है|
- हर माता-पिता को इस बात पर बहुत ही महत्वपूर्ण तरीके से घ्यान देना चाहिए की उसका बेटा-बेटी कही गलत रहो में तो नही ? और हैं तो उसे समझदारी पूर्वक उसके दुर्व्यसन से बाहर निकालना चाहिए|याद रखिएगा जब तक उसके अन्दर शर्म और लज्जा हैं तब तक ही वह सुधर सकता हैं अन्यथा कभी नही|ख़त्म होने से पहले ही सुधार लेना चाहिए|
- किसी भी गंभीर स्थिति को सिर्फ आँखों देखी ही यकीन करे|अन्यथा बिन भरोसे बहुत रिश्ते टूटते हैं|दुसरो की सुनने से बेहतर वस्तुस्थिति का स्वयं पता लगाना चाहिए|कम से कम बाद में किसी बात का पछतावा नही होगा कि उसके बातो में आकर क्यों ऐसा किया|
धन्यवाद!
6. INTERESTING MORAL STORY
” ग्वालिन का सहज विश्वास “
गोकुल में एक ग्वालिन रहती थी|वह नित्य दूध बेचने के लिए नाव से यमुना पार जाया करती थी|वही एक पंडित जी “नाम जप की महिमा” का वर्णन करते थे|एक दिन ग्वालिन भी सत्संग में पहुंची|पंडित जी प्रवचन कह रहे थे “प्रभु नाम रूपी वह नौका है जिसका जो कोई भक्ति पूर्वक आश्रय करता है, वह स्वयमेव संसार में से पार हो जाता है|”
ग्वालिन ने सोचा कि मुझे दो आना आने-जाने के लिए नाव का किराया देना पड़ता है कितना अच्छा हो यदि मैं राम नाम को सिद्ध कर लू|तब इस खर्चे से तो बच जाऊंगी|प्रवचन समाप्त हुआ, तब ग्वालिन में एकांत में पंडित जी से जप की विधि पूछी|पंडित जी बोले “यदि तुम 6 महीने मेरी बताइ गई विधि से जप कर लो तो तुम्हारी कामना अवश्य पूर्ण होगी|”
Inspirational Moral Stories in Hindi
घर जाकर ग्वालिन पूर्ण श्रद्धा भाव से जप करने लगी
और ठीक छः महीने बाद उसने अपने श्रध्दा और विश्वास के लगन से स्वप्न में राम जी के दर्शन द्वारा मंत्र सिद्ध कर लिया कि तेरा मंत्र सिद्द हो गया हैं|तू यमुना पार आ जा सकेगी, तू जो भी चाहेगी वह उस मंत्र से हो जायेगा|
अब ग्वालिन आराम से यमुना तट पर पैर रख कर जाती और दूध बेच कर आती|एक दिन उसके मन आया कि उसे यह सिद्ध पंडित जी के कारण वस प्राप्त हुआ है|
ऐसा सोच वह पंडित जी को अपने घर पर भोजन कराने के लिए बुलाने को गई|यमुना तट पर ग्वालिन बोली- पंडित जी! आप भी राम नाम कहकर मेरे साथ जल में चले आइए|
पंडित जी बोले- पगली यह कैसे संभव है? नौका बिना नदी के तट जाना संभव नही हैं|
ग्वालिन बोली- आपने ही तो कहा था श्री राम नौका के समान है|
पंडित बोले- वो तो मैंने जन्म मरण रूपी संसार से पार जाने की नौका कहा था|
ग्वावालिन बोली- आपके ही उपदेश को ग्रहण कर मंत्र जप करने से मुझे सिद्धि प्राप्त हुई है|जिससे मैं यमुना के आर पार चली जाती हूँ|आप भी चले आइए !
7 Interesting Moral Stories In Hindi
पंडित जी ने जैसे ही पाव रखा पंडित जी डूबने लगे|यह देख ग्वालिन ने मंत्र उपच्चारण कर प्रार्थना की कि पंडित जी को यमुना पार हो जाए|फिर ग्वालिन ने पंडित जी का हाथ पकड़ कर यमुना पार कराई|पंडित जी विस्मृत थे उस सीधी-सरल ग्वालिन की सिद्ध पर|मन ही मन बहुत लज्जित हुए और मन में ही विचारने लगे|
“आश्चर्य उसी राम मंत्र को ग्रहण कर ग्वालिन तो पार हो गई और मेरी तो सारी आयु रामायण की कथा कहने में ही व्यतीत हो गई|और हम तो वहीं के वहीं ही रहे|”
Moral:-
कुछ लोग होते हैं जो ज्ञान का बखान तो कर सकते हैं पर स्वयं जो वे कह रहे होते हैं उसे अपने जीवन में एक रत्ती भी नहीं उतार पाते|
जब व्यक्ति में अहंकार नहीं होता उसका हृदय सरल होता है तो वह पहली बार में ही अपने मेहनत और लगन की से अपने मंजिल को पा लेता हैं|
बेशक यह Story प्राचीन हैं दोस्तों!
लेकिन आज भी हमारे साथ ऐसी कितनों घटनाये घटती हैं यक़ीनन यह Competion की दौर हैं|लेकिन जैसे आपकी बुरी आदतों की और जितनी जल्दी खिचे जाने की उन्माद हैं ना|अगर उसको सही दिशा की और ले जाओ तो विश्वास और जूनून की लगन से आप अपने लक्ष्य तक एक ही बार में अवश्य पहुंच जाओगे|आप भी सब कुछ जानते जरुर हो, पंडित की तरह ज्ञान भी बाटते हो, लेकिन जब खुद की बारी आति हैं तो हवा निकल जाती हैं|
जो आपका Goal हैं उसे हर सुबह याद करो, उसको पाने के लिए रोज रणनीति बनाओ|स्वयं के ऊपर विश्वास रखो, जब तक मंजिल तक ना पहुच जाओ |
एक बात याद रखिएगा|
अगर
रेस जीतनी हैं ,
तो
मैदान में उतरना पड़ेगा |
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धन्यवाद!
7. INTERESTING MORAL STORY
“ गुरु कृपा ही केवलम “
शंकराचार्य के पास गिरि नामक एक ब्राह्मण बालक उसकी सेवा में था|निरक्षर होते हुए भी गिरी अत्यंत सेवाभावी मृदुभाषी एवं विनीत था|वह पूर्ण मनोयोग से सेवा करता था|यद्यपि कि वह आचार्य के उद्देश्यों को समझ नहीं पाता था, फिर भी ध्यान पूर्वक सुनता था|
एक दिन प्रवचन के समय आचार्य रुक कर इधर उधर देखने लगे उन्होंने पूछा :- आज गिरी दिखाई नहीं पड़ रहा है|इस पर कुछ शिष्यों ने कहा कि नदी के किनारे कपड़ा साफ कर रहा होगा |
तो कुछ शिष्यों ने व्यंग्य से कहा कि गुरुदेव आप उपदेश दीजिए, गिरी तो अनपढ़ हैं वह तो समझ भी नहीं पाएगा फिर उसका इंतजार क्यों कर रहे हैं |
7 Interesting Moral Stories In Hindi
आचार्य ने कहा कि उसे आने दो भले ही वह कुछ ना समझे पर बड़ी लगन के साथ उपदेश सुनता है| गिरि की गुरुभक्ति एवं उसकी सेवा से आचार्य प्रसन्न थे|उस पर आचार्य की ऐसी कृपा थी कि उसी क्षण वह गुरु के वस्त्रों को साफ करने के बाद त्रोटक छंद में गुरु महात्म्य परक एक स्रोत की रचना करते हुए कथा गुनगुनाते हुए गिरी आचार्य के समीप उपस्थित हुआ तथा उसी स्रोत का पाठ किया|
अनपढ़ गिरि की इस प्रतिभा को देखकर सभी शिष्य आश्चर्यचकित रह गए|गुरु कृपा से अपने ज्ञानेन्द्रियों की शक्ति से, लगन तथा अथक प्रयासों से उसने सब कुछ प्राप्त कर लिया|
आगे चलकर यही गिरी तोटकाचार्य के नाम से विख्यात हुआ जो शंकराचार्य के चार प्रमुख शिष्य में एक था|तथा ज्योतिर्मठ का आचार्य बना|
Moral:-
दोस्तों यदि लगन से किस कार्य को किया जाये तो उसका हमें उचित समय पर परिणाम जरूर मिलता है| सांथ ही कभी भी व्यक्ति को अपने होशियारी, ताकत और वस्तु पर घमंड नहीं होना चाहिए|क्योकि यह सिर्फ क्षण विशेष तक ही सांथ रहती है |
एक अहम बात कहना चाहूँगा दोस्तों! जीवन में कभी भी सीखना बंद मत करना|हो सकता हैं आज आपके अच्छे दिन हो या बुरे दिन हो लेकिन ” The beautiful thing about learning is that nobody can take it away from you.” आपने जो सिखा हैं उसे आपसे कोई नही छीन सकता|
Moral Stories in Hindi:-
हो सकता हैं Business में या Life में आपके साथ धोखे हो जिसके कारण आप वहां से निकाल दिए जाओ लेकिन आपने जो सिखा हैं उससे लगन के दम पर उससे भी बड़ा Business खड़ा कर सकते हैं|”अपने आप को सीखने से रोकना मतलब जीवन को जीना बंद करना हैं ” जीते जी मर जाना|
धन्यवाद!
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Very nice story
धन्यवाद मित्र!
Nice thougts hero
thanks, madam!
Very motivated story……??????
धन्यवाद मित्र!
Super story
thank you जी
Bhut bdiya ??
धन्यवाद भाई
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Thanks a lot buddy your comment. Try my best
Very nice story
thanks a lot buddy
Bahut acha h bhai??
thanks Buddy
Mst hi yara…
अतिसुन्दर कहानी
धन्यवाद जी
Very nice super story
धन्यवाद
अति सुन्दर…
प्रेरणादायक कहानी है,,
धन्य हो!
अति सुन्दर..
प्रेरणादायक कहानी है,,
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प्रेरणादायक कहानी है।