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मित्रों! यह एक ऐसा Website है जहां हम रोज एक ऐसे ही Short Moral Stories for kids in Hindi में Share करते हैं! जो व्यक्ति को एक नैतिक सीख देती है और जीने की कला सिखाती है|
दोस्तों इसमें प्रेषित सभी Moral Stories पाश्चात्य काल के किसी न किसी दैनिक जीवन में घटित घटना से संबंधित है! या फिर लोगों द्वारा कथित तौर पर कही गई है| जो आज निश्चित तौर पर हमारे दैनिक जीवन में घटित होती है!
So Friends! Today’s our
INTERESTING MORAL STORY
” निस्पृहता “
दो बौद्ध भिक्षुक भ्रमण के पद पर जा रहे थे, मार्ग में एक नदी पड़ती थी|जिसके किनारे उन्हें एक युवती मिली|युवती उस जल प्रवाह में प्रविष्ट होकर उसे पार करने में भय का अनुभव कर रही थी|अतः दोनों में से एक भिक्षुक ने उसे अपने कंधों पर बैठाया और नदी के उस पार ले जाकर छोड़ दिया|
जिस भिक्षुक ने इस घटना को देखा था वह बार-बार बैठाने वाले भिक्षुक को ऐसा करने के लिए धिक्कारने लगा जब उसने यही बात कई बार दोहराई तो युवती को बैठाने वाले भिक्षुक ने सहज भाव से कहा कि ” मैंने तो उसे नदी पार कराते समय कंधों पर ही बैठाया था लेकिन तुम तो अभी तक उसे सिर पर लादे हुए चल रहे हो|”
Short Moral Stories for Kids In Hindi
सामान्य से प्रतीत होने वाले इस प्रसंग में जो गूढ़ बात छिपी है वही जीवन की सत्यता है, जीवन को अनेक आयामों से व्यक्ति चाहे या ना चाहे उसे होकर गुजरना पड़ता है|लेकिन जो उसे उसी भिक्षुक के भाती केवल क्षण विशेषो में धारण करता है वही वास्तविक योगी होता है|
” महत्व इस बात का नहीं कि किस व्यक्ति ने जीवन में क्या किया अपितु इस बात का है कि उसने किस-किस आग्रहों के या किन दबावों के वंशीभूत होकर किया|”
ऐसे व्यक्तियों का जीवन ही सही अर्थों में निस्पृह होता है “वही जगत के पंक में कमल पत्रवत रहने का रहस्य जानते हैं” और सही अर्थ में उनका जीवन ही सार्थक हैं|निस्पृह व्यतीत होता हुआ सन्यस्त की श्रेणी में आने योग्य हो सकता है|
” गेरुए वस्त्र धारण कर जंगल-जंगल भटकने वाले व्यक्ति सन्यस्त श्रेणी में गणना योग्य नहीं हो सकते|”
Moral:-
- निस्पृहता का अर्थ- वह मनोवृत्ति जो किसी बात या वस्तु की प्राप्ति की ओर ध्यान नहीं ले जाती हो अर्थात लोभ या लालसा न होने का भाव|
- किसी भी स्थिति को हमेशा क्षण विशेष में ही धारण करना चाहिए|आज अगर दुःख हैं तो कल सुख अवश्य आएगा बस अपने मार्ग से कभी मत हटना|
- एक बार अर्जुन ने कृष्ण से कहा- इस दिवार पर कुछ ऐसा लिखो की, ख़ुशी में पढूं तो दुःख हो और दुःख में पढूं तो ख़ुशी हो|श्री कृष्ण ने लिखा- ” ये वक्त भी गुजर जायेगा “
- एक बहुत ही महत्पूर्ण बात ” महत्व इस बात का नहीं कि किस व्यक्ति ने जीवन में क्या किया अपितु इस बात का है कि उसने किस-किस आग्रहों के या किन दबावों के वंशीभूत होकर किया|”
धन्यवाद!
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